नई पुस्तकें >> सुबोध सुकृति - गीत सुबोध सुकृति - गीतडॉ. सुबोध कुमार तिवारीडॉ. पूर्णिमाश्री तिवारी
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डा. सुबोध कुमार तिवारी का काव्य-संसार - गीत
सम्पादकीय....
कला का सृजन करने के लिए कला विद्यार्थी होना आवश्यक नहीं होता। कला तो स्वतः प्रस्फुटित होती है, यह बात डॉ. सुबोध कुमार तिवारी के साथ सिद्ध होती है। पेशे से चिकित्सक, 40 वर्षों तक अपनी सेवाएँ बड़ी ही शिद्दत से देते रहे। उनका समय अनुशासन ऐसा था कि अस्पताल के लोग घड़ी मिलाते थे। व्यक्तित्व अत्यन्त सरल व सादगी से भरपूर रहा। किसी भी मरीज से बात उसी की भाषा में करते और एक रिश्ता कायम कर लेते, जिससे मरीज की तकलीफ आधी तो पहले ही दूर हो जाती, जैसे ही मरीज की प्यार से नब्ज पकड़ते तो केवल 25 प्रतिशत ही तकलीफ बचती।
अपने कर्तव्य निर्वहन के समय वे अनेक स्थानों पर रहे, अत: विभिन्न परिवेश को आत्मसात करते रहे। उन्होंने विभिन्न बोलियों को भी पकड़ कर रक्खा। यही कारण है उनकी रचनाओं में वह विविधता दिखाई देती है। आमतौर पर कम बोलने वाले डा. तिवारी मरीजों के साथ अच्छा संवाद स्थापित करते थे, चेहरे पर सदैव मुस्कान, उनका एक अलग तरह का गुण था।
नौकरी में समय के साथ-साथ व्यस्तता बढ़ ही जाती है। डा. तिवारी भी चिकित्सक के साथ प्रशासनिक सेवा में भी रहे। लेखन के लिए वे समय निकाल ही लेते थे। प्रारम्भ में तो अक्सर लिखते पर बाद के समय में स्मार्ट फोन पर ही, यह कला अपने चरम पर पहुँचती रही। परिवार को यह तो ज्ञान था कि डा. तिवारी रचनाएँ करते हैं, गीत लिख कर गाते भी हैं, किन्तु जिस बड़ी संख्या में रचनाएँ उनके जाने के बाद प्राप्त हुईँ वह हम सबके लिए बड़ा ही अचरज था। डा. तिवारी से हम परिवार वाले अक्सर कहते थे कि लेखन को प्रकाशित करें। किन्तु वे तो केवल लेखन को ही करते रहे, शायद प्रकाशन मेरे द्वारा होना था। वे कैंसर जैसी क्रूर बीमारी के चलते 22 जनवरी 2023 में नहीं रहे, हम सबको छोड़ कर चले गये। कुछ समय उपरान्त प्रकाशन की दृष्टि से रचनाएँ स्पर्श कीं तो इतनी बड़ी संख्या में रचनाएँ कब कैसे लिखी गईं, इस बात से हम अन्दर से हर्षित भी हुए।
लेखक की लेखनी ने इतने विषयों को छुआ है जिसका जिक्र करना अनिवार्य लगता है जैसे- प्रार्थनाएँ, सामाजिक चिन्ता, जागरूता, सीख, पर्व-त्यौहार, राष्ट्रीय चेतना, विशेष दिवसों पर, बाल संवेदनाएँ, महिलाओं पर चिन्तन व स्थिति, धार्मिक गीत, श्रंगार गीत, स्वयं की यादें, उम्र का बखान, अन्तर्राष्ट्रीय समस्या आदि अनेकों विषयों पर विचार, कविता, छन्द, दोहा, गीत, मुक्तक प्रस्तुत किये। उपरोक्त विषयों को एक साथ प्रकाशित करना मुश्किल था अत: प्रार्थना, गीत, राष्ट्रीय चेतना, पर्व-त्यौहार की एक पुस्तक व मुक्तक की एक पुस्तक। शेषअन्य विषयों पर पुस्तक आगामी वर्ष पर प्रकाशित होगी।
प्रार्थना - ईश्वर के अतिरिक्त अन्य धर्मों के सर्वधर्म उद्देश्य के साथ रचित है। गीत - बहुत ही सारगर्भित व लयात्मकता के साथ विषय को पूरा करते हैं। सामाजिक, राजनीति व धार्मिक विडम्बनाओं पर करारी चोट देखने को मिलती है जो पाठक को सोचने पर मजबूर करती है। किसी-किसी कविता में लेखक की सर्वधर्म भाईचारा की छटपटाहट दिखाई देती है।
लेखक नये उजालों के साथ अपने राष्ट्र को देखते हैं। साथ ही जनसंख्या के लिये चिन्तित दिखाई देते हैं। अपने लेखन के माध्यम से कर्तव्यबोध व नैतिक जिम्मेदारी पर भी रोशनी डाली है। कृतियाँ भावपक्षीय एवं कलापक्षीय दृष्टि से अनूठी बन पड़ी हैं।
पुस्तक प्रकाशन की यात्रा में डा. राजेश तिवारी 'विरल' का सहयोग सराहनीय रहा। अभिषेक-मेधा, तन्मय-तान्या के समय-समय पर यथोचित सहयोग ने कृतियों के पुस्तकाकार रूप लेने में अहम् भूमिका निभाई।
पाठकों को डा. सुबोध कुमार तिवारी की रचनायें एक नई सोच के साथ राष्ट्र को उन्नति पथ पर देखने के लिए बाध्य करेंगी तथा कुछ मुक्त फिजाओं की भी राह देंगी।
- पूर्णिमाश्री तिवारी
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